Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Chapter 4 लाल पान की बेगम

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Chapter 4 लाल पान की बेगम

लेखक परिचय: फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (4 मार्च 1921 – 11 अप्रैल 1977) हिंदी कथा साहित्य के एक प्रसिद्ध लेखक थे, जिन्हें विशेष रूप से आंचलिक कथाकार के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिंगना गांव में हुआ था।

रेणु जी का साहित्य मुख्यतः ग्रामीण भारत के जीवन, संघर्ष, रीति-नीति और संस्कृति पर केंद्रित रहा है। उनकी रचनाओं में पूर्वी भारत के गांवों का जीवंत चित्रण देखने को मिलता है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे और नेपाल के जनक्रांति आंदोलन में भी भाग लिया।

उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास "मैला आँचल" है, जिसने हिंदी साहित्य में आंचलिकता की एक नई परंपरा की शुरुआत की। इसके अलावा परती परिकथा, दीर्घतपा, ठुमरी, जुलूस और पालव जैसी कृतियाँ भी अत्यंत चर्चित हैं।

फणीश्वरनाथ रेणु की भाषा में स्थानीय बोली, ठेठपन और व्यंग्य का सहज सम्मिलन मिलता है, जिससे उनकी कहानियाँ जन-जन से जुड़ जाती हैं। उन्होंने साहित्य में आम लोगों की संवेदनाओं, संघर्षों और आकांक्षाओं को प्रमुखता से स्थान दिया।

सरल, संवेदनशील और प्रभावशाली लेखन शैली के कारण फणीश्वरनाथ रेणु आज भी हिंदी साहित्य में अमर हैं।


पाठ परिचय: लाल पान की बेगम

प्रस्तुत कहानी ‘लाल पान की बेगम’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गाँव में लोग किस तरह एक-दूसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा तथा हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बँधे होते हैं। कहानी की नायिका बिरजू की माँ हैं । इसके अतिरिक्त बिरजू, बिरजू के पिता, चंपिया, मखनी फुआ तथा गाँव की कुछ अन्य स्त्रियाँ हैं । कहानी का ताना-बाना ग्रामीण परिवेश के आधार पर बुना जाता है, जिसे कहानीकार ने बड़े ही सहज एवं स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया है। बिरजू की माँ के परिवार में महीनों पहले से बैलगाड़ी में बैठकर बलरामपुर का नाच देखने की योजना बन रही है। सुबह से ही परिवार में नाच देखने जाने की चहल-पहल तथा उमंग-तरंग है । बिरजू की माँ शकरकंद की रोटी बनाने की तैयारी कर रही है। इधर किसी पड़ोसिन से कहा-सुनी हो जाती है। जंगी की पतोहू बिरजू की माँ से डरती नहीं है। वह उसे लाल पान का बेगम कहती है तथा कमर पर घड़े को संभाल मटककर बोलती हुई ‘चल दिदिया चल’ कहकर चल देती है। बिरजू की माँ अपनी बेटी चंपिया से कहती है कि “सहुआइन जल्दी सौदा नहीं देती की नानी! एक सहुआइन की ही दुकान पर मोती झड़ते हैं, जो जड़ गाड़कर बैठी हुई थी।”

शाम हो गई। दीया-बाती का समय हो चुका है। अभी तक गाड़ी नहीं आई है। बिरजू की माँ के सब्र का बाँध टूट रहा है। आक्रोशवश वह शकरकंद छीलना बंद कर देती है तथा कहती है कि ‘यह मर्द नाच दिखाएगा ? चढ़ चुकी गाड़ी पर, देख चुकी जीभर नाच।’ वह बिरजू एवं चंपिया को ढिबरी बुझा देने का आदेश देती है तथा खप्पची गिराकर चुपचाप सो जाने को कहती है। वह भी सोने का उपक्रम करती है। उसके मन में अपने पति के विरुद्ध क्रोध की ज्वाला धधक रही है। वह मड़ैया के अंदर चटाई पर करवटें ले रही थी कि तभी बिरजू का पिता बैलगाड़ी लेकर आ धमकता है। गाड़ी के आते ही परिवार में खुशी की लहर छा जाती है। शकरकंद की रोटी बनती है। फुआ बुलाई जाती हैं। बैलगाड़ी पर सभी सवार होते हैं । गाड़ी बलरामपुर की ओर चल पड़ती है। गाड़ी पर पड़ोस की कुछ औरतें भी सवार होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा की चमचमाती रात में खेतों में पकी धान की बालें देखकर गीत गाने लगती हैं। बिरजू की माँ जंगी की पतोहू के सौन्दर्य में अपना सौन्दर्य देखती है तथा मन-ही-मन स्वीकार करती है कि वह सचमुच लाल पान की बेगम है । उसके मन में अब कोई लालसा नहीं। सभी के साथ वह भी चलती बैलगाड़ी में सो जाती है।


Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Chapter 4 लाल पान की बेगम

प्रश्न 1. बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?

उत्तर – नाच की तैयारी के संदर्भ में जिस तरह की तैयारियाँ हो रही हैं और जो उमंग छाया हुआ है, उसमें बिरजू की माँ के गों की साड़ी से एक खास किस्म की गंध निकल रही है जिससे बिरजू की माँ को “बिरजू की माँ नहीं लालपान की बेगम” कहा गया है।


प्रश्न 2. “नाचवा के पहले ही नया धान पूजु दिया।” इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?

उत्तर – बिरजू की माँ एक थाली लेती है और एक थान लेकर मूँह में सुलत डालती है। बिरजू की माँ ने बिरजू को बहुत डाँटा और कहा, “नाचवा के पहले ही नया धान पूजु दिया।” यह कथन इस ओर संकेत करता है कि शायद बिरजू के पिता ने गाड़ी का इंतजाम कर दिया है और वह नाच देखने जा रहे हैं। बिरजू की माँ को जब यह बात पता चलती है तो वह ताना मारती है और अपने भीतर की नाराजगी व्यक्त करती है। वह सोचती है कि उसका पति उससे बिना कहे चुपचाप चला गया है। इसी नाराजगी और असंतोष की झलक इस कथन में मिलती है।


प्रश्न 3. बिरजू की माँ की मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?

उत्तर – गाँव की स्त्रियाँ जब शाम को नाच देखने के लिए सज-धज कर बलरामपुर जाने लगीं तब बिरजू की माँ को बहुत दुःख हुआ। उसे लगता है कि शायद वह नाच देखने नहीं जा पाएगी। वह परेशान है कि उसके पति ताने देकर निकल चुके हैं और बहुत देर हो जाने से वह घर नहीं आए हैं। वह क्रोध के मारे घर पर की बत्ती बुझा देती है, बच्चों को सोने के लिए विवश कर देती है।


प्रश्न 4. ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लाल पान की बेगम’ कहानी एक अंचलिक और मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसमें ग्रामीण परिवेश की गंध छिपी हुई है। नाच-गान देखे-सुनने-दिखाने के बहाने कथानायक ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-ढंगों की गहरी संवेदनाओं के साथ प्रकट किया है। लोग-जन किस तरह एक-दूसरे से जलन, ईर्ष्या, राग-द्वेष, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद के गहरे जाल में बंधे रहते हैं, उसकी जीवंत बनावट है–लालपान की बेगम।

रेणु ने इस अंचलिक कहानी में अंचल विशेष की संस्कृति, भाषा, मुहावरे एवं लोक शैली, रीति-रिवाज को सफल विवेचन किया है। इस दृष्टि से ‘लाल पान की बेगम’ अपने आप में सार्थक शीर्षक है।


संपूर्ण व्याख्या

प्रश्न 5. (क) “बार हम पाट (पुट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ती।”

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने गरीबी की समस्याओं और उसके ऊपर सुप्तम भावनाओं तथा उनके जीवन में जो बदलाव आता है, उसका ग्रामीण परिवेश में बड़ा ही सुंदर और सटीक वर्णन प्रस्तुत किया है।

मखनी फुआ पूर्णा भरकर लौटती हुई धर्मनिरपेक्षी अपनी भाषा में कहती है कि छप्पनटक्की और अच्छी समय पाट (पुट) की कमाई से भोजवाले बदलता था पान मुँह में कहती है कि वह तब तक चिउर, ठंढा अगुआल में थी, और अब लाल-पान-मुँहबन्द वाले के कहने पर किसी के लिए कुछ भी कर जाती है। ऐसे समाज की प्रवृत्ति दुखद स्तब्धतास्वर का गम्भ संकेतक है।


(ख) “छोटे-छोटे तिनका निकालकर गालियाँ देगा।”

उत्तर – फणीश्वरनाथ रेणु की ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत पंक्तियाँ हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में फणीश्वरनाथ ने ग्रामीण समाज और स्त्री दशा नहीं है उनका भावनात्मक और सामाजिक रूप से सुंदर चित्रण किया है।

इस पाठ में रेणुजी ने शकरकंद केंद्र बनाकर देकर समझाया है कि जीवन सरल नहीं है और कठिन है। परिस्थितियों के अनुसार परिवार की महिलाएँ किस तरह अपने को ढालती हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में रेणुजी ने गहराई से यह बताया है कि बिरजू की माँ अपनी कठिन परिस्थिति के कारण अपने पति से परेशान है, क्योंकि पति गाड़ी लेकर नाच देखने चला गया है। और उधर वह ताना मारकर कहती है, “छोटे-छोटे तिनका निकालकर गालियाँ देगा।” यह बयान करता है कि वह अपने पति से बहुत नाराज़ है और गुस्से में है।


प्रश्न 6. "दस साल की चंपिया जानती है कि शकरकंद छीलते समय कम-से-कम बार-बार माँ उसे टोककर बकझकती, छोटे-छोटे खोट निकालकर गालियाँ देती।" इस कथन से चंपिया की प्रती माँ के किस मनोभाव की अभिव्यक्ति होती है?

उत्तर - प्रस्तुत पंक्तियाँ 'लालपान की बेगम' शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में ही फणीश्वरनाथ ने ग्रामीण समाज और स्त्रियों नहीं है उसकी मानसिकता का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया है।

इस पाठ में रेणुजी ने शकरकंद केंद्र बनाकर देकर समझाया है कि चंपिया समझ गई है और सीख रही है। शकरकंद छीलने के दौरान माँ का क्रोध उभर आता है और वह उसे बार-बार टोकती है। यह टोकना, डाँटना और गालियाँ देना माँ की स्थिति, मनोवृत्ति और अंतर्मन की स्थिति को उजागर करता है। वह क्रोधित है कि पति अभी तक नहीं आया, गाड़ी नहीं आई और सारा आयोजन अधूरा ही रह जाएगा। इसी बात की निराशा वह चंपिया पर उतार रही है। लेकिन चंपिया यह सब समझ रही है कि माँ उसकी गलती पर नहीं बल्कि अपनी अधूरी कामना के कारण गुस्से में है। यह एक स्त्री मन की स्थिति है जो असंतोष और असफलता की पीड़ा को कभी बच्चों पर तो कभी घर की छोटी बातों पर निकालती है। यह एक गहरी भावात्मक अभिव्यक्ति है।


प्रश्न 7. बिरजू की माँ भागी के खराब है, जो ऐसा गौरव गणेश घरवाला उसे मिला। “कान-सन सार-माथ दिया है अपने मर्द ने। कहूँ देवे ओई की” प्रस्तुत संवाद में ग्राम्य स्त्री के जीवन की कौन-सी झलक मिलती है? यह स्त्री किस मनोवृत्ति से बोल रही है? इस प्रकार के संबंधों का कथा-वस्तु पर क्या प्रभाव पड़ता है? ग्रामीण नारी पर विचार कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत संवाद फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ कहानी से उद्धृत है। रेणु ने प्रस्तुत पंक्तियों में ग्रामीण नारी की निराशा का वर्णन करते हुए उसके चरित्र की मानसिकता का बड़ा सुंदर वर्णन किया है।

इस कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण नारी की मनोदशा का बड़ा ही सजीव चित्र खींचा है। समय पर नाच देखने के लिए बैलगाड़ी के नहीं पहुँचने पर बिरजू की माँ की झुंझलाहट का सहज आभास हो जाता है वह तब अपनी बेटी से कहती है कि जूता में पानी डाल दे, बुझा हुआ दी। हमारी मनोकामना कब की पूरी होने वाली! खप्पची रोप दे, बत्तियाँ बुझा दो जवाब मत देना।

रेणुजी ने इस असंतोष के दृश्य को इतने सजीव ढंग से सजाया है कि कहानी में चार चाँद लग गये हैं। इस कथन में भारतीय नारी की सहनशीलता, सहदुखदता, पति के प्रति उल्लास का भाव एवं मूक पीड़ा की अभिव्यक्ति मिलती है।


प्रश्न 8. गाँव की गरीबी तथा आपसी कोष्ठ और ईर्ष्या के बीच भी वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है। इस कथन के आधार पर टिप्पणी करें।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई हैं। फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित 'लालपान की बेगम' एक ग्रामीण कथानक है जिसमें लेखक ने ग्रामीण जीवन के आत्मीयता के तमाम रंगों का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया है।

यहाँ पर गाँव की महिलाएँ एक-दूसरे से जलती हैं, चुगली करती हैं, लेकिन फिर भी जब प्रसन्नता का क्षण आता है तब सभी प्रसन्न हो उठती हैं। बिरजू की माँ ने गुस्से में सब त्याग दिया था, लेकिन जैसे ही गाड़ी आती है, चूल्हा जलता है, रोटी बनती है, फुआ बुलाई जाती है और सब तैयार होकर निकलते हैं। बैलगाड़ी में जब सभी साथ गाते हैं, तो वह गाँव की वास्तविकता है, एकता और सह-अस्तित्व का भाव है। यह चित्रण बताता है कि बाहरी ईर्ष्या के बावजूद एकता का भाव बना रहता है।


प्रश्न 9. कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।

उत्तर – प्रस्तुत कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश में बालमन की चंचलता, डरावनापन और उल्लास का ऐसा रूप रखा है कि कहानी में आनंद उठाने का अवसर मिलता है।

इस कहानी में चंपिया जो बिरजू की बहन है उसका हठुआइन के दुकान से सामान जल्द लाने पर माँ की झुँझलाहट, पिता द्वारा झाड़ू के मारने पर की झुँझलाहट, बिरजू और चंपिया द्वारा शकरकंद खाने की लालसा और माँ द्वारा डाँट खाने के बावजूद मस्ती करना — यह बालमन की झलकियाँ हैं। बिरजू की आकुलता जब पिता नहीं आते और जब गाड़ी आती है तो वह चहक उठता है। नाच देखने पर वह प्रसन्नता प्रकट करता है, यह कहानी को आनंददायक बना देता है।


प्रश्न 10. ‘लाल पान की बेगम’ कहानी का सारांश लिखिए।

उत्तर – 'लाल पान की बेगम' रेणुजी ने गाँव की धरती का जो सुंदर चित्र खींचा है, वह सबके मनोम पर अमिट छाप छोड़ता जाता है। यह एक पारिवारिक स्त्री जीवन की कथा है जिसमें आशा-निराशा, ईर्ष्या, द्वेष और आंतरिक चेतना की झलक दिखाई देती है। उनके गाँव की कई तरह घुलती बातें और स्त्रियों की हलचलता की कराहट है ही दूसरी ओर बिरजू की माँ के मन में उठता हुआ असंतोष है, विरतादृष्टि की झुँझलाहट है ही तीसरी ओर इनके अंत में बची हुई लोक संस्कृति की मिठास है।


प्रश्न 11. कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।

उत्तर – ‘लाल पान की बेगम’ कहानी में पात्रों की संख्या अधिक है मगर इसमें बिरजू की माँ, बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, बाबू, सहुआइन इत्यादि प्रमुख पात्र हैं। इन पात्रों में बिरजू की माँ सबसे विशिष्ट पात्र है।

बिरजू की माँ — बिरजू की माँ को बदला-बदला बना हुआ ही दीया गया है। पहले उत्साह से भरी, फिर निराशा से दुखी, पति से खिन्न, लेकिन अंततः फिर वही स्नेह, अपनापन और उल्लास से भरी।

बिरजू — बिरजू एक छोटा बच्चा है, जो माँ की भावना को समझता है और नाच देखने के लिए उत्साहित है।

चंपिया — बिरजू की बहन चंपिया माँ की मदद करती है।

मखनी फुआ — बिरजू की फुआ, जो नाच देखने के समय साथ चलती हैं।

सहुआइन — गाँव की दुकान चलाने वाली महिला।

जंगी की पतोहू — वह बिरजू की माँ से नहीं डरती और उसे "लाल पान की बेगम" कहती है। 

रेणु जी ने ग्रामीण पात्रों को इतना सुंदर नामकरण और चरित्र का सजावटी ढंग से कहानी रोचक बना दी है। यह ग्रामीण परिवेश की सजीव झाँकी बन पड़ी है और इसे शत-प्रतिशत ही 'लालपान की बेगम' कहा जा सकता है।


प्रश्न 12. फणीश्वरनाथ रेणु के जीवन-परिचय का संक्षिप्त और जीवंत विवरण करने में निपुण थे। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर – फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 में अररिया जिला के औराही हिंगना नामक गाँव, जिला अररिया (बिहार) में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध ग्रामीण परिवेश के कथाकार थे। वे महान क्रांतिकारी भी थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और नेपाल की आजादी में भी उनका योगदान रहा। रेणु की प्रमुख रचनाएँ हैं — मैला आँचल, परती परिकथा, जुलूस, रसप्रिया, ठुमरी, और ‘लालपान की बेगम’। उनकी भाषा शैली में देशज शब्दों का प्रयोग, बोली-बानी का अनूठापन, तथा पात्रों के मनोभावों का सजीव चित्रण प्रमुख विशेषता है। रेणु ने हिन्दी साहित्य में आँचलिकता की एक पारिभाषिक प्रवृत्ति को जन्म दिया। उनकी कहानियों में गाँव की माटी, लोक जीवन, लोक व्यवहार और रीति-रिवाज़ों का चित्रण जीवंत रूप में मिलता है। रेणु ने अपनी लेखनी के माध्यम से गाँव की आत्मा, उसकी जीवंतता और चेतना को चित्रित किया है। इन सभी विशेषताओं के कारण रेणु जी हिन्दी कथा साहित्य में एक अमूल्य स्थान रखते हैं। यह रहे पाठ के आस-पास से संबंधित प्रश्नों के उत्तर:


पाठ के आस-पास 

प्रश्न 1. फणीश्वरनाथ रेणु ने ग्रामीण परिवेश पर कई कहानियाँ लिखी हैं। उनकी कहानियों का ‘ठुमरी’ नामक संग्रह उपलब्ध कर पढ़ें एवं वर्ग में उस पर चर्चा करें।

उत्तर: फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियाँ भारतीय ग्रामीण जीवन के यथार्थ चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं। ‘ठुमरी’ उनके कहानी संग्रह का नाम है, जिसमें उन्होंने छोटे-छोटे गाँवों के जनजीवन, समस्याओं, लोक-संस्कृति, स्त्री-जीवन, सामाजिक संघर्षों आदि को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। इस संग्रह में ‘‘रसप्रिया”, “पंचलाइट”, “ठेस”, “ठुमरी”, “एक श्रावणी दोपहर की धूप”, “पहलवान की ढोलक” जैसी कहानियाँ शामिल हैं। इन कहानियों के माध्यम से उन्होंने समाज की विविध परतों, वर्गों और संस्कृतियों को संवेदनशीलता से उकेरा है।


प्रश्न 2. ग्रामीण समाज में गरीबी एक प्रमुख समस्या है। इस पर एक निबंध लिखें।

उत्तर: भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अधिकांश जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। गाँवों में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी समस्या गरीबी है। इसके मुख्य कारण हैं—अशिक्षा, बेरोजगारी, कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, ऋणग्रस्तता, भूमि की असमानता और सरकारी योजनाओं का लाभ न मिल पाना। गरीबी के कारण ग्रामीण जीवन पिछड़ेपन, कुपोषण और निराशा से घिरा रहता है। गरीब किसान कर्ज में डूबे रहते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को शिक्षा, स्वरोजगार, सिंचाई, कृषि योजनाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देना होगा।


प्रश्न 3. आंचलिकता क्या है? इस विषय पर अपने शिक्षक से चर्चा करें।

उत्तर: आंचलिकता का अर्थ है–किसी विशेष क्षेत्र, अंचल या भूभाग की संस्कृति, बोली, रहन-सहन, परंपरा और सामाजिक जीवन का साहित्य में सजीव चित्रण। आंचलिकता की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा, संवेदनाएँ, लोक गीत, लोक कथाएँ, रूढ़ियाँ, लोक विश्वास आदि को प्रमुखता से स्थान दिया जाता है। हिंदी साहित्य में फणीश्वरनाथ रेणु को आंचलिकता का सिरमौर माना जाता है। उनके उपन्यास ‘मैला आँचल’ और कहानियाँ ग्रामीण अंचल की विशिष्ट पहचान प्रस्तुत करती हैं।


प्रश्न 4. रेणु की किस कहानी पर फिल्म का निर्माण किया गया? उस कहानी को उपलब्ध कर पढ़ें एवं उसकी चर्चा शिक्षक से करें।

उत्तर: फणीश्वरनाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी ‘पंचलाइट’ पर फिल्म का निर्माण किया गया है। यह कहानी एक ग्रामीण गाँव में पंचलाइट (पेट्रोमैक्स लैंप) को लेकर हुए हास्यपूर्ण प्रसंग पर आधारित है। कहानी में यह दिखाया गया है कि गाँव वाले केवल उस व्यक्ति को पंचलाइट जलाने की अनुमति देना चाहते हैं जो मंडली का सदस्य हो, जबकि एकमात्र वही युवक पंचलाइट जलाना जानता है जो मंडली से निष्कासित है। यह कहानी सामाजिक विडंबना, हास्य और ग्रामीण सोच पर व्यंग्य प्रस्तुत करती है।


प्रश्न 5. रेणु के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।

उत्तर: फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिंगना गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य में आंचलिक कथा साहित्य के प्रमुख लेखक थे।

उनकी रचनाएँ ग्रामीण जनजीवन के यथार्थ, संघर्ष, प्रेम, पीड़ा, सामाजिक विषमता और मानवीय संवेदनाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती हैं। उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं– मैला आँचल, परती परिकथा, जुलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे। कहानी संग्रहों में ठुमरी, एक श्रावणी दोपहर की धूप, पंचलाइट आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया था, जिसे उन्होंने आपातकाल के विरोध में लौटा दिया था। उनका साहित्य हिंदी कथा-धारा में एक नई दिशा देने वाला रहा है।


भाषा की बात :

1. निम्नलिखित लोकोक्तियों का अर्थ बताते हुए स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें –

(i) आगे नाथ न पीछे पगहिया।

अर्थ: न कोई सहारा है और न कोई सहायक।

वाक्य: गरीबी ने ऐसी हालत कर दी कि अब उसके पास आगे नाथ न पीछे पगहिया बचा।

(ii) कथरी के नीचे दुशाला का सपना।

अर्थ: अपनी औकात से बाहर की आकांक्षा करना।

वाक्य: वह एक गरीब मजदूर है, फिर भी आलीशान कार खरीदने की बात करता है, यह तो कथरी के नीचे दुशाला का सपना है।

(iii) धरती पर पाँव न पड़ना।

अर्थ: बहुत अधिक खुश होना, उत्साह में उड़ते फिरना।

वाक्य: परीक्षा में प्रथम स्थान पाकर उसकी धरती पर पाँव न पड़ना जैसी स्थिति हो गई।


2. सहुआइन में 'आइन' प्रत्यय लगा हुआ है। 'आइन' प्रत्यय से पाँच शब्द बनाइए –

उत्तर:

1. सेवक + आइन = सेवकाइन

2. राजा + आइन = रानी

3. ठाकुर + आइन = ठाकुराइन

4. बनिया + आइन = बनियाइन

5. साहू + आइन = साहुआइन


3. निम्नलिखित शब्दों का प्रत्यय बताइए –

  • पढ़ाई – ई
  • गरीबी – ई
  • मुरलीवाला – वाला
  • खिलौनेवाला – वाला


4. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए –

  • राई-पानी – बहुत थोड़ा
  • पेंचकीसी – तकरार / झगड़ा
  • मान-मनौव्वल – मनाना
  • दीया-बाती – दीपक / प्रकाश
  • बेटी-पतोहू – कन्या / बहू


5. "जोते जमीन चार बिस नहीं तो किसी और की" कहावत का अर्थ स्पष्ट करें और वाक्य में प्रयोग करें।

अर्थ: जो अपने पास कम होता है, वह दूसरों की संपत्ति पर नज़र रखता है।

वाक्य: गाँव का रमेश जोते जमीन चार बिस नहीं तो किसी और की, पर हमेशा दूसरों की ज़मीन हथियाने की सोचता रहता है।


6. पाठ से देशज शब्दों को छाँटकर लिखिए –

उत्तर: देशज शब्द – चटाई, ढिबरी, खप्पची, मड़ैया, सहुआइन, फुआ, पतोहू, लोट-पोट, झगड़ालू, अँगना, पसरना आदि।

See Also :